07 December 2011

नादान बादल...!!!


मुंडेर पर बैठे, यूँ ही बिखरे बादलों को देख कर ज़हन में एक ख्याल उतर आया....

बिखरे बिखरे बादल, सर्दी की धूप में कैसे सुहाने लगते हैं...

भिन्न भिन्न आकारों में, कभी खड़े, कभी लेटे, तो कभी दौड़ते नज़र आते हैं...

अभी कोई नही पूछता इनको... सब धूप में मगन हैं...

बस कुछ दिन और... ये बादल फिर लोटेंगे...

कुछ दिनों में पानी भर लाएँगे ये....

और बस पानी ही इनका रंग बदल देगा....

यही बादल अपना रंग बदल लेंगे...

गुरूर में... कि देखो, अब हम पानी वाले हो गये हैं...

पानी का गुरूर... शायद काफ़ी पढ़ाई की है इन बादलों ने...

तभी तो "ऱहिमन पानी रखिए, बिन पानी सब सून" को इतनी शिद्दत्त से निभाते हैं....

नादान बादल...

पानी तो बरस जाएगा.... फिर?

कौन पूछेगा इनको बिना पानी के....

नादान बादल...

हम इंसानो से ही कुछ सीख लेते....

हम तो ना बदले बादल, तुम तो सीख लो...!!!

नादान बादल...

1 comments:

Shweta Khanna Bhatia said...

ahem ahem... nice one ;)