14 October 2010

तराजू के पलड़ो में...

तराजू के पलड़ो में,
रख कर आँसू और मुस्कान
जी रहा है कैसे
यह ज़िंदगी इंसान


Inspired by---

जिंदगी ये जिंदगी....!!!

कभी साफ तो कभी धुन्द्लि सी,

ज़िंदगी है यह बस ज़िंदगी...

कभी हँसाती तो कभी रूलाती,

अनदेखी सी राहों पे ले जाती ...

रोज़ नयी पहेलियाँ बुझाती,

अर्सों बाद खुद ही सुलझाती...