जिंदगी ये जिंदगी....!!!
कोशिश... जिन्दगी को लफ्जों में उतारने की...
01 October 1997
तन्हाइयों का सफ़र
कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जैसे बरसात के दिनों में बच्चों का रुके पानी में काग़ज़ की नावें तेराना. ये नावें तैरती तो हैं पर बहुत दूर तक और बहुत देर तक नहीं.
शायद हमारा रिश्ता भी ऐसी ही एक किश्ती जैसा था...
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